शायरी : गिले-शिकवों का भी कोई अंत नहीं साहब…

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गिले-शिकवों का भी कोई

अंत नहीं साहब…

पत्थरों को शिकायत ये कि पानी की मार से टूट रहे हैं हम…

और पानी का गिला ये है कि पत्थर हमें खुलकर बहने नहीं देते..!!

Hindi shayari-जिंदगी के सफर में हजारों लोग मिलेंगे, मंजिलों की खातिर रास्ता तुम्हें…

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जिंदगी के सफर में हजारों लोग मिलेंगे।

मंजिलों की खातिर रास्ता तुम्हें चुनेंगे…

मुड़ के देखना पीछे, हम जहां थे वहीं तुम्हें मिलेंगे।

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