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मनचाहा पाने के लिए,
चाहना भी मन से पड़ता है।
जिस समय आप किसी का
अपमान कर रहे होते हैं,
दरअसल उस समय आप
अपना सम्मान खो रहे होते हैं ।
प्रेम, सम्मान और अपमान,
ये एक निवेश की तरह है,
जितना हम दूसरों को देते हैं,
वो हमें जरूर ब्याज सहित
वापस मिलता है ।
अभिमान तब आता है, जब
हमें लगता है कि हमने कुछ किया है और
सम्मान तब मिलता है,
जब दुनिया को लगता है कि
आपने कुछ किया है ।
यदि सम्मान खोकर कमाई बढ़ती हो,
तो उससे निर्धनता श्रेयस्कर है।
रावण ने कैलाश पर्वत उठा लिया था,
वो केवल शिव की भक्ति के कारण।
बाकी अहंकार से तो वो
अंगद का पांव भी नहीं उठवा पाया था ।
Thoughts in Hindi: हर दरवाजे पर ताला हो सकता हैं,लेकिन हर ताले की चाबी जरूर होती हैं
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