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किसी मनुष्य को अपना अपमान इतना भी नहीं सहना चाहिए कि आत्म सम्मान ना रहे।
मनुष्य का मान अपमान जीवन में एक अहम भूमिका निभाता है।
अगर मनुष्य का मान समाज में प्रतिष्ठित करता है
तो अपमान करना मनुष्य को नीचे गिरा देता है।
पुरुष का सम्मान नारी का अपमान न करने पर निर्भर होता है।
अपमान करने वाला पुरुष भी नारी की नज़रों में अपना सम्मान खो देता है।
अपमान का सबसे अच्छा उत्तर है अपमान करने वाले से
अत्यधिक सुख, समृद्धि, नाम, शौहरत, सफलता प्राप्त कर लेना
कि अपमान सार्वजनिक रूप से सम्मान बन जाए।
अगर समाज की अदालत विफल होती है तो ईश्वर का न्याय सही फैसला करता है
भले देर हो सकती है लेकिन सही न्याय मिलता है।
न्याय के लिए लड़ना पड़ता है।
अपने हक के लिए आगे आना पड़ता है।
आवाज़ उठानी पड़ती है।
हिम्मत करनी पड़ती है तभी न्याय की उम्मीद सार्थक रूप प्रदान करती है।
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