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हर बात ख़ामोशी से मान लेना
यह भी अंदाज़ होता है नाराजगी का
कौन कहता है तन्हाइयाँ अच्छी नहीं होती
ये खुद से मिलने का हसीं मौका देती हैं ।
क्रोध एक ऐसा हथियार है,
जो आपका होते हुए भी आप पर वार करता है।
स्वयं को माचिस की तीली न बनाएँ,
जो थोड़ा सा घर्षण लगते ही सुलग उठे
स्वयं को वह शांत सरोवर बनाएँ जिसमें
कोई अंगारा भी फैंके तो वह खुद ही बुझ जाए ।
जो मन की पीड़ा को
स्पष्ट रुप से कह नहीं पाता है
उसी को क्रोध अधिक आता है ।
पितामह भीष्म के जीवन का एक ही पाप था
कि उन्होंने समय पर क्रोध नहीं किया
और
जटायु के जीवन का एक ही पुण्य था कि
उसने समय पर क्रोध किया…
एक को बाणों की शैया मिली और
दूसरे को प्रभु श्री राम की गोद ।
अतः क्रोध भी तब पुण्य बन जाता है,
जब वह धर्म और मर्यादा के लिए किया जाए
और सहनशीलता भी पाप बन जाती है,
जब धर्म और मर्यादा को बचा न पाये।
Thoughts in Hindi: गलती, पीठ की तरह होती है,औरों की दिखती है; पर अपनी नहीं…।
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